यूँ तो मैंने महफ़िल महफ़िल आधी उम्र बिताई है,
पर जो पल भरपूर जिए हैं वो मेरी तन्हाई है।
दिल का शीशा तोडा जिसने उसको ये मालूम नहीं,
हर टुकड़े में एक मुकम्मल उसकी याद समाई है।।
पर जो पल भरपूर जिए हैं वो मेरी तन्हाई है।
दिल का शीशा तोडा जिसने उसको ये मालूम नहीं,
हर टुकड़े में एक मुकम्मल उसकी याद समाई है।।