गीत हरदम उजालों के हम गायेंगे...
ये अंधेरे तुम्हें छू नहीं पाएंगे...
मुस्कुराना सदा रूप का काम है...
त्याग तो प्रेम का दूसरा नाम है...
तुम तो आनंद लो रोशनी का प्रिये...
ये न पूछो क्या क्या जलाना पड़ा...
क्योंकि रिश्ता ही तुमसे है ऐसा मेरा...
जो नहीं चाहकर भी निभाना पड़ा...