घुटनों पर रेंगते-रेंगते कब पैरों पर खड़ा हुआ।
तेरी ममता की छांव में न जाने कब बड़ा हुआ।।
काला टीका दूध मलाई आज भी सब कुछ वैसा है।
मैं ही हूं तेरे लिए हर जगह प्यार ये तेरा कैसा है।।
मैं रोया तू काम छोड़ कर आई मुझको गोद में उठा लिया।
झाड़ पोंछकर चूम चूमकर गीले गालों को सुखा दिया।।
कितनी भी मैं करूं शैतानी तेरे लिए मैं अच्छा हूं।
कितना भी हो जाऊं मैं बड़ा मां आज भी मैं तेरे लिए बच्चा हूं।।
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